दलितो को समर्पित
जो भी बहुजन अपने आपको ज्यादा ही भगवान के भक्त समझते हैं। उन्हें किस प्रकार भगवान के ठेकेदार ब्राह्मण, रंडी का नाच नचाते हैं। ओर कहते हैं। आप भगवान के भक्त हो। आप हरीजन हो। ओर फिर ब्राह्मण ही बेचारे दलित को मंदिर में जाने से रोकते हैं।
कविता
भाँग धतुरा पी पी कर
तुम हुडदंग खूब मचाओगे ll
जितना चाहो भक्ति कर लो
शूद्र ही कहलाओगे l
सम्मान नही मिलना तोले भर
मंदिर से निकाले जाओगे ll
भूल गये पिछले वर्षों की
मंदिरों से तुम्हे भगाया था l
अछूत बता कर पूर्वजों को
स्कूल के बाहर बैठाया था ll
इतिहास के पन्ने याद करो
मैला तुम से ढुलवाया था l
जोर जुल्म कर देव भक्तों ने
हरिजन तुम्हे बनाया था ll
इतने अपमान के बावजूद भी
भजन कीर्तन गाते हो l
पुजारी के पीछे हो कर खड़े
आरती खूब सुनाते हो ll
दलित पशु बताया "तुलसी" ने
फ़िर भी घंटा खूब बजाते हो ll
न तुम सुधरे न सुधरोगे
अपमान अपना कराओगे l
जितना चाहो भक्ति करलो
शूद्र , अछूत ही कहलाओगे।
जय भीम जय भारत