आरक्षण पर नरेन्द्र मोदी का पुराना विडियो वायरल होने पर देश भर में बवाल। bjp में मचा हड़कंप।
2015 में मोदी जी कहते थे।
चुनाव के समय चुनाव जीतने पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय किया कि 50% से अब आगे किसी को कोई आरक्षण नही मिल सकता हैं। आरक्षण बढ़ाने का आब किसी को भी भारी पड़ सकता है।
अब राजनीति दल उसमें से कोई न कोई बेईमानी कर दी जा रही है, लालू जी नीतीश जी सोनिया जी और कुछ राजनीतिक दल वह क्या कर रहने जा रहे हैं आपको मालूम है 5% आरक्षण दलितों में से 5% महादलित में से 5% पिछड़ों में से 5% अति पिछड़ों में थे उनमें से निकाल कर के संप्रदाय के आधार पर दूसरे संप्रदाय को देने का इनका षड्यंत्र चल रहा है।
आज मैं भी विशवास दिलाता हूँ। कोई रती भर आरक्षण छिनने की कोशिश करेगा। ओर किसी सांप्रदायिक के नाम पर ले देकर वोट बैंक की राजनीति करने की कोशिश करेगा मोदी आपके आरक्षण की सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देगा।
जब बिहार चुनाव के दौरान वह एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे तब वो कह रहे थे कि नीतीश और लालू ओबीसी दलित एससीएसटी का पांच फिसदी आरक्षण, दूसरे समुदाय के लोगों को देने की फिराक में है। और मैं यह में होने नहीं दूंगा। तब नीतीश और लालू एक साथ होते थे और दोनों साथ मिलकर बिहार का चुनाव लड़ रहे थे लेकिन 4 साल के भीतर मोदी जी ऐसे बदल गए हैं जैसे शादी के बाद अक्सर लड़का के बदल जाने की बात कही जाती है अगर आर्थिक रूप से पिछड़े के लोगों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देना सही है तो मोदी जी को बताना चाहिए कि 2015 में वह लालू पर किस बात का आरोप लगा रहे थे दूसरे समुदाय को 5 फीसदी आरक्षण मिलने की खबर सुनकर क्या मोदी जी ने स्वर्ण को 10 फीसदी आरक्षण देने का मास्टर प्लान तभी से शुरू कर दिया था या फिर 3 राज्यों में मिली करारी हार और नाराज़गी ने मोदी जी को आनन-फानन में यह फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया है।
2018-2019 में मोदी सरकार द्वारा लिया गया फैसला।
सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण पर मोहर लगाकर सबका साथ सबका विकास के मंत्र और मजबूत करने का काम किया गया जो भी हो मोदी के समर्थक इस फैसले को मोदी का मास्टरस्ट्रोक और देश की बड़ी आबादी के बहुत बड़ा फैसला बता रहे हैं ताकि इसे लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी महागठबंधन की काट के तौर पर भी देख रहे हैं वैसे मास्टर स्ट्रोक और बहुत बड़ा फैसला इन दिनों टीवी पत्रकारिता का सबसे प्रचलित शब्द है टीवी न्यूज़ चैनल की स्क्रीन पर मोदी करीब करीब मास्टर स्ट्रोक मारते हैं।
और हर दूसरे दिन बहुत बड़ा फैसला ले लेते हैं लेकिन असली सवाल यह है कि आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का फैसला कर क्या मोदी ने वाकई मास्टर स्टोक में आखिर चुनावी राजनीति के लिहाज से इस फैसले के क्या मायने हैं वैसे मेरे लिए यह बात मानना मुश्किल है कि मोदी सरकार गरीब सवर्णों की चिंता में दुबली हुई जा रही थी इसीलिए यह फैसला लिया गया है मगर जो सवाल विरोधी दल उठा रहे हैं उसमें दम जरूर नजर आता है।
मसलन मोदी सरकार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से लोगों की याद अपने कार्यकाल के बिल्कुल आखिरी वक्त में क्यों आने लगी मौजूदा लोकसभा के करीब करीब आखिरी सत्र के आखिरी दिन इतने हम बिल को पेश करने का ख्याल आखिर कैसे आ गया अगर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की चिंता से मोदी सरकार भरी बैठी थी तब आरक्षण की बात 7 जनवरी के क्यों नहीं सुनाई थी इस फैसले में ऐसा क्या था जिस पर बहस नहीं होनी चाहिए थी और अचानक नोटबंदी की तर्ज पर लिए गए इस फैसले का क्या मतलब होता सभी बातों को एक साथ देखे तो मोदी सरकार का यह फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव को साधने का बस एक हथियार भर है मोदी जी का यह फैसला राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे 3 बड़े हिंदी भाषी राज्यों में हार की बेचैनी को भी बयान करता है इन 3 राज्यों के चुनावी नतीजे बताते हैं कि किसान बीजेपी से कितने परेशान थे दलित समुदाय में गहरी नाराजगी थी और ऊपर से एससी-एसटी कानून में बदलाव के बाद भाजपा के पक्के स्वर्ण वोटर भी भाजपा से ऐसा मध्यप्रदेश में स्वर्ण समाज के आंदोलनों आंदोलनों से साफ साफ दिखाई दे रहा था यहीं पर इस फैसले के राजनीतिक पहलू पर गौर करने की जरूरत है इन तीनों वोट बेंक दलो से किसानों की नाराजगी कम दिखाई दे रही है। स्वर्ण वोटर बीजेपी को साध सकते हैं।
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