मोदी सरकार पर| अमेरिका की खुपीया एजेंसी की चोकाने वाले रिपोर्ट।
2019 चुनाव से पहले। बहुत बड़ी खबर। देश झुलूस सकता है हिंसा की आग में। बड़े पैमाने पर हो सा दंगे।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी का दावा। रिपोर्ट से देश में मचा हड़कंप। जी हां देश एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस सकता है। देश भर में दंगे कराने की साजिश चल रही है। दंगे करा कर चुनाव जीतने का षड्यंत्र चल रहा है। और दंगों से निकली लाशों की सीडी बनाकर सत्ता तक पहुंचने का बेहद खतरनाक खेल खेला जा रहा है। और यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह खुलासा किया है।
अमेरिका की जानी-मानी खुफिया एजेंसी ने नेशनल इंटेलिजेंस ने नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक डैम कोर्ट ने अपनी सीनेट को लिखित में सूचित किया है कि भारत में चुनाव के पहले भीषण नंगे हो सकते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उसने अपने लिखित बयान में जो दावा किया है उसके मुताबिक मोदी जी के पहले कार्यकाल में बीजेपी की नीतियों ने बीजेपी शासित कुछ राज्यों में सांप्रदायिक तनाव को बेहद गहरा कर दिया है। और राज्यों के हिंदू राष्ट्र वादी नेता हिंदू राष्ट्रवादी अभियान के जरिए हिंसा को निचले स्तर पर ले जाकर अपने समर्थकों को गोलबंद करने के लिए उसे एक संकेत के तौर पर देख सकते हैं । अगर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडा पर जोर देती है तो संसदीय चुनाव में सांप्रदायिक हिंसा की आशंका बढ़ जाएगी सांप्रदायिक झगड़ों के बढ़ने से भारतीय मुसलमानों के अलग थलग पड़ आशंका है। और इससे इस्लामिक आतंकी समूह को भारत में अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिल जाएगा जरा सोच हजारों मील दूर बैठी एक खुफिया एजेंसी आने वाले 4 महीनों में भारत में क्या होगा अगर उसको सुंग लेती है और भारत की जनता को लिखित रूप से चेतावनी देती है। तो यह कोई सामान्य बात नहीं है बता दें कि कोट्स अमेरिका की दूसरी बड़ी खुफिया एजेंसियां दुनिया के पैमाने पर आने वाले खतरे की आशंका का ब्यौरा देने के लिए कि सिनेट की सिलेक्ट कमीठी के सामने पेश हुई थी। और उसी रिपोर्ट में भारत पर मंडरा रहे सांप्रदायिक हिंसा के खतरे से भारत की जनता को आगाह गौरतलब है कि पीएम मोदी के 5 साल का कार्यकाल मई में खत्म हो रहा है। और फिलहाल देश चुनावी मूड में हैं।
एक ऐसे दौर में जबकि सरकार के पास दिखाने के लिए झूठ के सिवा कुछ नहीं है। बेरोजगारी के आंकड़े तक को उसे छूपाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। और जब डेटा लिक हो जा रहा है तो बचाव में नीति आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को भी उतार दिया जा रहा है। तो समझा जा सकता है कि मामला कितना गंभीर है और सरकार कितने संकट में है ऐसे में बीजेपी अगर मंदिर निर्माण के साथ ही अपने आजमाएं हुए पुराने सांप्रदायिक एजेंडे पर जाने का फैसला कर ले तो किसी को हेरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि बीजेपी किसी भी कीमत पर अगली बार सत्ता में आने की कोशिश करेगी और सामान्य परिस्थितियों में ऐसा होता हुआ दिख नहीं रहा है विपक्षी दलों की सक्रियता और उनका गठजोड़ भाजपा के लिए भारी पड़ता जा रहा है ऐसे में उसे किसी ब्रह्मास्त्र की जरूरत है और वह ब्रह्मास्त्र है राम मंदिर और राम मंदिर की आड़ में देश भर में दंगे कराना।
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