Guru Ravidas ji jayanti 2023
संत गुरु रविदास जी जयन्ती।
संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज
2023 में, संत गुरु रविदास जी की जयन्ती हिंदू धर्म के अनुयायी दुनिया भर में मनाई जाएगी। यह उनके पूज्यों और प्रशंसकों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण उत्सव होगा, जो उनके अनुयायी हैं। इस दिन, उनके प्रसिद्ध कथाओं, गीतों, भजनों और पूजा-पाठ के माध्यम से उनकी यात्रा और उनके समय में के उनके विचारों की वर्णन की जाएगी। संत रविदास एक प्रख्यात भारतीय धर्मीय कवि, गुरु और संत थे। उन्होंने हिंदू धर्म में अनेक गीतों की रचना की और वहाँ पर अनुयायी के रूप में प्रसिद्ध हुए।
संत रविदास के जीवन में कई कुछ ऐसे घटनाएं हैं, जो अब तक के इतिहासों में उल्लेखनीय हैं। उन्होंने जोग महामहिम के द्वारा जाने वाले अपने समय के अधिकांश अनुयायीओं के लिए अपने पुण्य कविताओं को स्पष्ट करने का प्रयास किया।
संत रविदास के गीतों में हमें उनकी प्रेरणादायी भक्ति, ईश्वर की पूजा, अहिंसा, त्याग और समाधि के विषयों पर विचार किया।
संत रविदास जी का जीवन परिचय:
संत रविदास जी का जन्म 1450 ईसा पूर्व में पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था।
वे अपने जीवन में भगवती धर्म के अनुयायी थे।
वे अपने गीतों में ईश्वर और भक्ति के विषयों पर विचारों को प्रकट करते थे।
उनके गीतों के प्रभाव से भक्ति और धर्म के अनुयायी उनके समय से ही उन्हें प्रसिद्ध करते गए।
संत रविदास जी 1520 ईसा में निधन हुए।
संत रविदास जी के जीवन में उन्होंने धर्म और भक्ति के अनुयायी हिंदू धर्म के प्रचलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संत रविदास जी एक महान धर्मी, कवी, और भक्त थे। उन्होंने 15वीं सदी में भगवती धर्म के स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन और गीतों से प्रभावी योगदान दिया।
संत रविदास जी के गीतों में ईश्वर, भक्ति, और धर्म के विषयों पर विचारों को व्याख्या किया गया। उन्होंने हिंदू धर्म के प्रति पुणे, महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संत रविदास जी को अब तक भक्ति और धर्म के अनुयायी भव्य तरीके से सम्मानित किया जाता है। उन्हें धर्म और भक्ति के अनुयायी हिंदू धर्म के प्रचलन में महत्वपूर्ण योगदान हैं।
संत रविदास और छुआछुत
संत रविदास जी की जाति के बारे में कुछ विविध अभिव्यक्तियां हैं। संत रविदास जी दलित परिवार में जन्मे थे, उनकी विशेष जाति चमार थी, इसी कारण पहले विद्वान पढ़ने नही देते थे। इन्होने अपने समाज के लिए छुआछुत जैसी बिमारी के लिए खुब लड़े थे, कुछ व्याख्याओं के अनुसार, वे एक दलित व्यक्ति थे। हालांकि, अधिकांश व्याख्याओं के अनुसार, वे एक बेलवंत व्यक्ति थे।
संत रविदास जी के विचारों और कथाओं में, उन्होंने जाती, धर्म, वर्ण, व्यक्तित्व और अन्य सामाजिक बाधाओं पर कुछ अलग विचार व्यक्त किए। वे जातिवाद, धर्मवाद और अन्य तरह के भेदभाव के विरोध में थे। वे सभी मनुष्यों को एक ही धर्म और धार्मिकता के अंग के रूप में मानने का विचार करते थे।
संत शिरोमणि रविदास जी के बारे में बहुत सारे तथ्य हैं, लेकिन मेंने आपको प्रमुख लेख है उसे बताने का प्रयास किया, आशा है आपको यह लेख पढ़ने में मजा आया होगा, उम्मीद करता हूँ कि आगे भी हमारे साइट पर लेख पढ़ोगे,
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