आषाड़ पूर्णिमा(जुलाई)-बौद्ध भिक्खु वर्षावास आरंभ
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यह वर्षावास तीन महीने याने अश्विन पूर्णिमा तक चलता है .इस वर्षावास में चार पूर्णिमा आती है .प्रथम आषाड़ ,द्वितीय श्रावण ,तृतीय भाद्रपद और चौथी है अश्विन पूर्णिमा .
वर्षाकाल में आने जाने की दिक़्क़तें,जीव जन्तु पैर के नीचे आना आदि बातों को देखते हुवे भगवान बुद्ध ने भिक्खुऔ पर भ्रमण की रोक लगाई थी .इन तीन महीनों के दौरान भिक्खु किसी एक बौद्ध विहार में रहते हुवे जनता को धम्म की शिक्षा-दीक्षा दे यह भगवान बुद्ध की सोच थी .
भगवान बुद्ध ने सतत 45 वर्षोतक पैदल प्रवास किया और अपने पावन पवित्र धम्म को जनता-जनार्धन तक पहुँचाया.
तथागत ने कुल 46 वर्षावास 13 जगह किये थे . प्रथम वर्षावास सारनाथ में और अंतिम वर्षावास कपिलवस्तु में किया था .उन्होंने सबसे ज़्यादा 25 वर्षावास श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश ) में किए थे .श्रावस्ती उन दिनो भारत सबसे घनी आबादी वाली नगरी थी.और यह वही श्रावस्ती है जहाँ अनाथपिडंक ने स्वर्ण मुद्रायें बिछाकर जेतवन ख़रीदा था और वहा एक सात मंज़िला बुद्धविहार का निर्माण किया था .
उसके बाद “राजगृह “में भगवान बुद्ध ने 5 वर्षावास किए थे .यह पर जापान के फ्यूजी गुरुजी ने शांतिस्तूप व भव्य बुद्ध विहार बनवाया है ,जहाँ हमेशा गरम पानी बहते रहने वाले दो कुंड है .
आजकल पाली के विद्वान और बोधाचार्य की संख्या बढ़ी है फिर भी वर्षावास में पाली भाषा के पाठ,सूत्र के अलावा ज़्यादा से ज़्यादा स्थानीय भाषा में प्रबोधन देना शायद अच्छा होगा और प्रबोधन में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की दो चाहतें जो वह अपने अनुयाईयो से चाहते थे ,जो प्रथम है “ हमें इस देश की शाशन कर्ता जमात बनाना है “और द्वितीय है “सम्पूर्ण भारत को बौद्धमय बनाना “ इस पर सकारात्मक चर्चा और कार्यपरिणिति हो तो सोने में सुहागा .
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यह वर्षावास तीन महीने याने अश्विन पूर्णिमा तक चलता है .इस वर्षावास में चार पूर्णिमा आती है .प्रथम आषाड़ ,द्वितीय श्रावण ,तृतीय भाद्रपद और चौथी है अश्विन पूर्णिमा .
वर्षाकाल में आने जाने की दिक़्क़तें,जीव जन्तु पैर के नीचे आना आदि बातों को देखते हुवे भगवान बुद्ध ने भिक्खुऔ पर भ्रमण की रोक लगाई थी .इन तीन महीनों के दौरान भिक्खु किसी एक बौद्ध विहार में रहते हुवे जनता को धम्म की शिक्षा-दीक्षा दे यह भगवान बुद्ध की सोच थी .
भगवान बुद्ध ने सतत 45 वर्षोतक पैदल प्रवास किया और अपने पावन पवित्र धम्म को जनता-जनार्धन तक पहुँचाया.
तथागत ने कुल 46 वर्षावास 13 जगह किये थे . प्रथम वर्षावास सारनाथ में और अंतिम वर्षावास कपिलवस्तु में किया था .उन्होंने सबसे ज़्यादा 25 वर्षावास श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश ) में किए थे .श्रावस्ती उन दिनो भारत सबसे घनी आबादी वाली नगरी थी.और यह वही श्रावस्ती है जहाँ अनाथपिडंक ने स्वर्ण मुद्रायें बिछाकर जेतवन ख़रीदा था और वहा एक सात मंज़िला बुद्धविहार का निर्माण किया था .
उसके बाद “राजगृह “में भगवान बुद्ध ने 5 वर्षावास किए थे .यह पर जापान के फ्यूजी गुरुजी ने शांतिस्तूप व भव्य बुद्ध विहार बनवाया है ,जहाँ हमेशा गरम पानी बहते रहने वाले दो कुंड है .
आजकल पाली के विद्वान और बोधाचार्य की संख्या बढ़ी है फिर भी वर्षावास में पाली भाषा के पाठ,सूत्र के अलावा ज़्यादा से ज़्यादा स्थानीय भाषा में प्रबोधन देना शायद अच्छा होगा और प्रबोधन में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की दो चाहतें जो वह अपने अनुयाईयो से चाहते थे ,जो प्रथम है “ हमें इस देश की शाशन कर्ता जमात बनाना है “और द्वितीय है “सम्पूर्ण भारत को बौद्धमय बनाना “ इस पर सकारात्मक चर्चा और कार्यपरिणिति हो तो सोने में सुहागा .
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यह वर्षावास तीन महीने याने अश्विन पूर्णिमा तक चलता है .इस वर्षावास में चार पूर्णिमा आती है .प्रथम आषाड़ ,द्वितीय श्रावण ,तृतीय भाद्रपद और चौथी है अश्विन पूर्णिमा .
वर्षाकाल में आने जाने की दिक़्क़तें,जीव जन्तु पैर के नीचे आना आदि बातों को देखते हुवे भगवान बुद्ध ने भिक्खुऔ पर भ्रमण की रोक लगाई थी .इन तीन महीनों के दौरान भिक्खु किसी एक बौद्ध विहार में रहते हुवे जनता को धम्म की शिक्षा-दीक्षा दे यह भगवान बुद्ध की सोच थी .
भगवान बुद्ध ने सतत 45 वर्षोतक पैदल प्रवास किया और अपने पावन पवित्र धम्म को जनता-जनार्धन तक पहुँचाया.
तथागत ने कुल 46 वर्षावास 13 जगह किये थे . प्रथम वर्षावास सारनाथ में और अंतिम वर्षावास कपिलवस्तु में किया था .उन्होंने सबसे ज़्यादा 25 वर्षावास श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश ) में किए थे .श्रावस्ती उन दिनो भारत सबसे घनी आबादी वाली नगरी थी.और यह वही श्रावस्ती है जहाँ अनाथपिडंक ने स्वर्ण मुद्रायें बिछाकर जेतवन ख़रीदा था और वहा एक सात मंज़िला बुद्धविहार का निर्माण किया था .
उसके बाद “राजगृह “में भगवान बुद्ध ने 5 वर्षावास किए थे .यह पर जापान के फ्यूजी गुरुजी ने शांतिस्तूप व भव्य बुद्ध विहार बनवाया है ,जहाँ हमेशा गरम पानी बहते रहने वाले दो कुंड है .
आजकल पाली के विद्वान और बोधाचार्य की संख्या बढ़ी है फिर भी वर्षावास में पाली भाषा के पाठ,सूत्र के अलावा ज़्यादा से ज़्यादा स्थानीय भाषा में प्रबोधन देना शायद अच्छा होगा और प्रबोधन में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की दो चाहतें जो वह अपने अनुयाईयो से चाहते थे ,जो प्रथम है “ हमें इस देश की शाशन कर्ता जमात बनाना है “और द्वितीय है “सम्पूर्ण भारत को बौद्धमय बनाना “ इस पर सकारात्मक चर्चा और कार्यपरिणिति हो तो सोने में सुहागा .
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यह वर्षावास तीन महीने याने अश्विन पूर्णिमा तक चलता है .इस वर्षावास में चार पूर्णिमा आती है .प्रथम आषाड़ ,द्वितीय श्रावण ,तृतीय भाद्रपद और चौथी है अश्विन पूर्णिमा .
वर्षाकाल में आने जाने की दिक़्क़तें,जीव जन्तु पैर के नीचे आना आदि बातों को देखते हुवे भगवान बुद्ध ने भिक्खुऔ पर भ्रमण की रोक लगाई थी .इन तीन महीनों के दौरान भिक्खु किसी एक बौद्ध विहार में रहते हुवे जनता को धम्म की शिक्षा-दीक्षा दे यह भगवान बुद्ध की सोच थी .
भगवान बुद्ध ने सतत 45 वर्षोतक पैदल प्रवास किया और अपने पावन पवित्र धम्म को जनता-जनार्धन तक पहुँचाया.
तथागत ने कुल 46 वर्षावास 13 जगह किये थे . प्रथम वर्षावास सारनाथ में और अंतिम वर्षावास कपिलवस्तु में किया था .उन्होंने सबसे ज़्यादा 25 वर्षावास श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश ) में किए थे .श्रावस्ती उन दिनो भारत सबसे घनी आबादी वाली नगरी थी.और यह वही श्रावस्ती है जहाँ अनाथपिडंक ने स्वर्ण मुद्रायें बिछाकर जेतवन ख़रीदा था और वहा एक सात मंज़िला बुद्धविहार का निर्माण किया था .
उसके बाद “राजगृह “में भगवान बुद्ध ने 5 वर्षावास किए थे .यह पर जापान के फ्यूजी गुरुजी ने शांतिस्तूप व भव्य बुद्ध विहार बनवाया है ,जहाँ हमेशा गरम पानी बहते रहने वाले दो कुंड है .
आजकल पाली के विद्वान और बोधाचार्य की संख्या बढ़ी है फिर भी वर्षावास में पाली भाषा के पाठ,सूत्र के अलावा ज़्यादा से ज़्यादा स्थानीय भाषा में प्रबोधन देना शायद अच्छा होगा और प्रबोधन में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की दो चाहतें जो वह अपने अनुयाईयो से चाहते थे ,जो प्रथम है “ हमें इस देश की शाशन कर्ता जमात बनाना है “और द्वितीय है “सम्पूर्ण भारत को बौद्धमय बनाना “ इस पर सकारात्मक चर्चा और कार्यपरिणिति हो तो सोने में सुहागा .