*बुद्ध और उनका धम्म*
*----------------------------**बुद्ध कितने सरल दिखते है, तन पर एक मात्र वस्त्र, हाथ मे एक मात्र भिक्षापात्र..*
*पर ऐसी क्या बात थी उनमें की , आज असंख्य लोग उनकी वंदना करते है,*
*असंख्य लोग उनके पथ का*
*अभ्यास करते है,*
*ऐसी क्या बात थी उनमें,*
*की बिम्बिसार, अजातशत्रु, प्रसेनजीत जैसे महान सम्राट,*
*बुद्ध की शरण मे गए*
*ऐसी क्या बात थी उनमें, की विश्व के एक मात्र*
*चक्रवर्ती महान सम्राट अशोक बुद्ध की शरण में गए*
*ऐसी क्या बात थी उनमें, की बुद्ध काल के 61 दर्शन बुद्ध से संमोहित हो गए,*
*ऐसी क्या बात थी उनमें,*
*की चक्रवर्ती महान सम्राट अशोक, और अन्य राजाओं के प्रचार से, श्रीलंका, थाईलैंड, लाओस,चीन,तिब्बत,भूटान,*
*मंगोलिया,ग्रीक,कोरिया,* *म्यांमार, जापान, जैसे कई देश बौद्ध हो गए,*
*ऐसी क्या बात थी उनमें,*
*की भारत ने राष्ट्रपति भवन में ही एकमात्र ऐतिहासिक गौतम बुद्ध की प्रतिमा लगाना उचित समझा,*
*ऐसी क्या बात थी उनमें,*
*कि भारत ने भारतीय ध्वज में,*
*धम्मचक्र को विशेष स्थान दिया ऐसी क्या बात थी उनमें,*
*की नालंदा, विक्रमशीला, ओदंतपुरी,सोमपुरा,सिरपुर जैसे महान विश्विद्यालय उनके ज्ञान के नींव पर बनें,*
*कारण यह हैं कि,*
*बुद्ध उसे कहते है,*
*जो पूर्णतः जाग गया हो*
*जिसकी तृष्णा, द्वेष , ईर्ष्या, खत्म हो गई हो,*
*जो पूर्णतः मुक्त हो*
*जिसके सारे संभ्रम, शंकाए खत्म हो गए हो,*
*अर्थात,*
*जो किसी फूल के खिलने को भी उसी प्रकार देखता हो जैसे किसी*
*बच्चे के जन्म को,*
*और जो किसी पत्ते के झड़ने को भी वैसे ही देखता हो,*
*जैसे अपने माता की मृत्यु को,*
*जो सुंदर-असुंदर को एक सा देखता हो,*
*जो पूर्णतः संतुलित भावनामें आ गया हो,*
*जिसकी करुणा सभी जीव-निर्जीव के लिए बराबर हो,*
*सरल शब्दों में कहा जाए,*
*तो उन्होंने सत्य को कड़वा नही बल्कि मीठा बताया, जस का तस बताया ,*
*उन्होंने, ये तो बताया कि संसार दुख और पीड़ा से भरा पड़ा है,*
*पर ये भी बताया कि की इसे दुख और पीड़ा को समाप्त किया जा सकता है।*
*उन्होंने ये तो बताया, की कैसी दो भाइयों के बीच सुलह की जाए ,*
*और ये भी बताया कैसी दो देशों के बीच सुलह की जाए।*
*उन्होनें,एक गरीब का भी दुख समझा और एक अमीर का भी उनका मार्ग सभी अंतर को खत्म करने वाला है*
*उनका मार्ग दुःखमुक्ति का है , शांति का है,*
*इसलिए आज भी प्रासंगिक है,*
*बुद्ध दर्शन अनुभूति(experience) पर टिका हुआ है जिसे बुद्ध कलाम सुत्त कहते हैं।*
*उसमें बुद्ध में कहते है,*
*की किसी बात को इसलिए मत मान लो कि,*
*वो किसी पवित्र पुस्तक में लिखी है,*
*न ही इसलिए की उसे बहुत लोग मानते हो,*
*न ही इसलिए की उसे कोई गुरु कह रहें है,*
*न ही इसलिए कि स्वयं "बुद्ध" उसे कह रहे है,*
*बल्कि स्वयं जांचों, उसका अनुभव करो, और जब स्वंय के लिए और संसार के लिए प्रासंगिक हो,*
*तो ही मानो...!*
*यही सुत्त बुद्धिज़्म को अन्य धर्मोंसे एवं सांप्रदायिकतासे अलग ऊंचाई प्रदान करता है और उसे विज्ञानसे जोड़ देता है !*
*और इसी आधार पे बुद्धिज़्म को वैज्ञानिक भी कहा जाता है।*
*वर्तमान में जल रही धरती को युद्ध नही बुद्ध कि जरूरत है ।*
*बुद्ध कहते हैं,*
*तुम स्वयं की शरण में जाना किसी और कि नही*
*अत्त दीप भव*
*अपना दीपक स्वयं बनो...!*
*//भवतु सब्ब मंगलम //*
*@विद्रोही अविनाश गोंडाणे*
*//परिवर्तनवादी विचार मंच(म.रा)//*
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