शिक्षिक दिवस 2020
इस पुरे भारत वर्ष में यानी 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है,
इस दिन सभी विद्यार्थि अपने अपने प्रमुख अध्यापक को गिफ्ट देते हैं। एवं स्कूलों में यह दिवस शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
5 सितंबर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णनन की जयंती है, उन्होंने शिक्षा को ज्यादा माहत्य दिया था, इस लिए इनकी जयंती की याद में यह शिक्षा दिवस मनाया जाता है।
शिक्षा देने वाले पहले व्यक्ति कौन थे?
शिक्षा देने वाले सर्व प्रथम व्यक्ति ज्योतिबा फुले एवं माता साँवत्री बाई फुले थे।
ज्योतिबा फुले पुरुष वर्ग को पढ़ाते थे। एवं माता साँवत्री बाई फुले महिलाओं को पढ़ाती थी।
पढ़ने लिखने का अधिकार किसे नही था।
पहले मनु स्मृति के आधार पर sc st अर्थात बहुजन समाज के व्यक्ति को पढ़ने लिखने का अधिकार नही था, साथ में नारी समाज को तो बिलकुल पढ़ने लिखने का अधिकार नही था, चाहे अदर समाज हो या बहुजन समाज।
भालत में मनु स्मृति दहन के बाद ज्योतिबा फुले एवं उनकी पत्नी माता साँवत्री बाई फुले ने शिक्षा को महत्व देते हुए शिक्षा का प्रचार प्रसार किया।
ज्योतिबा फुले का उद्देश्य
इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया.19 वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका बनी थी।
निर्दोष ...
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