संत पेरियार
संत पेरियार जी महाराज ने हमेशा पाखंड वाद अंधविश्वास का कड़ा विरोध किया है ।
वे चरवाहा अर्थात धनगर समाज में जन्मे ऐसे महानायक महापुरुष थे, जिन्होने सभी समाज के सामने पाखंडवाद का विरोध किया।
जन्म
इनका जन्म चरवाहा अर्थात धनगर समाज में हुआ 17 सितम्बर 1879 में हुआ। इन्हें इरोड वेंकट नायकर रामासामी पेरियार नाम से भी जाना जाता था,
बीसवीं सदी में तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता थे। इन्होंने जस्टिस पार्टी का गठन किया।
मृत्यु :
24 दिसंबर 1973, में हुई।
इनका अन्य नाम ई.वी.आर पेरियार था।
पुस्तक
महिलाओं को गुलाम क्यों बनाया गया?
इस्लाम पर पेरियार
बौद्ध धर्म में पेरियार 2007
महिलाओं को गुलाम बनाया
उनके विचारधारा
पेरियार जी पहले से ही रुढिवादी, पाखंड वाद, अंधविश्वास आदि के खिलाफ थे।
पेरियार जी ने देवी-देवताओं जैसे कल्पित को हमेशा नाकारा हैं।
उन्होंने पाखंड वाद जैसे रीति-रिवाजों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने पेरियार की सच्ची रामायण का निर्माण किया ताकि व्यक्ति आसानी से समझ सके। उन्होंने रामायण में राम सीता, रावण, आदि को कल्पित कहा।
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आपका दोस्त दिनेश कुमार