सरकार कह रही है कि हम मंडियों में सुधार के लिए यह कानून लेकर आ रहे हैं. लेकिन, सच तो यह है कि कानून में कहीं भी मंडियों की समस्याओं के सुधार का जिक्र तक नहीं है,
1. कृषि उत्पाद व्यापार व वाणिज्य कानून-2020: राऔषपति से मंजूरी मिलने के बाद इस कानून के तहत अब किसान देश के किसी भी हिस्से में अपना उत्पाद बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। इससे पहले की फसल खरीद प्रणाली उनके प्रतिकूल थी, क्योंकि वे सिर्फ पास की मंडी में ही अपने उत्पाद बेच सकते थे।
2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून-2020: यह कानून बनने के बाद किसान अनुबंध के आधार पर खेती के लिए आजाद हो गए ऐसा कहती है सरकार,
3.आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: इस बिल के तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाने वाले तेल, प्याज व आलू को आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर करने का प्रावधान है। इसके बाद युद्ध व प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों को छोड़कर भंडारण की कोई सीमा नहीं रह जाएगी।
किसानों की आपत्ति
किसान भाई इस कानून का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह कानून किसान विरोधी है,
सरकार, सही तरीका से देखा जाये तो सरकार क्रषि से संबंधित नियम वा कानून प्राइवेट के हाथो बेचना चाहती है, जैसे अंबानी अडानी..
अगर अंबानी अडानी के हाथो क्रषि का यह सिस्टम चला गया तो इसका प्रभाव गरीब और किसान पर ज्यादा रहेगा,
उदाहरण:-
अभी हमारे पास जो गेहूं हैं, अंबानी अडानी उसकी किमत 11-12 ₹/ खरिदेगा,फिर इनकी कंपनियों से गेहूं कीमत किमत 46-50 ₹/ किलो बजार में मिलेगा।
अब आप ही बताइए इसमें किसान को क्या फायदा..
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धन्यवाद