Baba sahaab ne aaj ke din li thi lambi sans.
बाबा सहाब ने आज के दिन ली थी लंबी सांस।
नमस्कार दोस्तों,
में आपका दोस्त दिनेश कुमार कुंडरीया।
मुझे यह आपको बताने में बहुत खुशी हूई हैं कि दिनांक 06 दिसंबर 1956 को हमारे महापुरूष, महामना, राष्ट्रीयपिता, डाॅ. भीम राव अम्बेडकर हम सबको छोड़ कर प्राकर्तिक में विलीन हो गये थे।
उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 महु (ईन्दौर) म.प्र. में हुआ था।
में उन शासकीय कर्मचारियों से जो एस सी/ एस टी/ओबीसी के हैं, कुछ कहना चाहता हूँ।
वे उन महान आत्मा को भुल गये हैं जिन्होंने हमे जीवन जिना सिखाया हैं।
भले ही जन्म, माता पिता से मिला हो। भले ही माता-पिता ने लालन पालन किया हो लेकिन जीवन जिने का अधिकार तो बाबा सहाब अंबेडकर ने दिलाया हैं।
जब तुमको, पहले पढ़ने तक अधिकार नही था, तो फिर तुम्हारे माता-पिता किस विधालय में पढ़ाते? आपको सायद मालूम नही, पहले हम जब घर से निकलते थे तब मनुवादी पाखंडी लोग हमारे पीछे झाड़ु बांध देते थे ओर आगे गले में मटकी।आखिर क्यों?
क्योंकि जब दलित चलता है तो पैर के नीसान मीटा सके झाड़ु। ओर जब थुको तब आपका थुक धरती पर ना गिरे। इसलिए गले में मटकी बंध देते थे। बाबा साहब ने इन सबको हटाया ओर एक नया जीवन दिया। बाबा साहब ने खुद स्कुल के बहार बेठकर पढ़ाई करी थी।
जरा सोचो अगर बाबा साहब ना होते तो हमे पुरी आजादी मिल जाती नही भाई नही मिलती ।
जब हम पढ़े लिखे ना होते तो क्या आप साशकीय कर्मचारी बन पाते? अगर बाबा साहब हमारे लिये सांविधान नही बनाते तो क्या आप नोकरी कर पाते नही भाई नही कर पाते।
मेरे ख्याल से आप समझ चुके होंगे। दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसी लगी। अगर अच्छी हो तो।
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जय भीम 👏